ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है ।
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ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे

Wednesday, July 28, 2010

भारतीये नारी पथ भटक गयी हैं

भारतीये नारी पथ भटक गयी हैं
देवी हम उसको मानते थे
इंसान वो बनगई हैं

पहले हमारी बेटी बनकर वो
नाम पाती थी
पहले हमारी पत्नी बनकर वो
नाम पाती थी
पहले हमारी माँ बन कर वो
नाम पाती थी

अब वो अपना नाम खुद बनाती हैं
हमारे नाम के बिना भी
जीना चाहती हैं
अब इसको भटकाव ना कहे तो
क्या कहे ??

वो समानता की बात करती हैं
वो बदलाव की बात करती हैं
वो निज अस्तित्व की बात करती हैं
ये सब भटकाव नहीं तो और क्या हैं

भारतीये नारी पथ भटक गयी हैं
देवी हम उसको मानते थे
इंसान वो बनगई हैं

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