सभ्यता
अगर कपड़े पहनने से
आजाती
सो समाज में
सब सुरक्षित होते
कपड़े
सुरक्षा कवच मात्र हैं
शरीर के
असंख्य हैं जो
कपड़े पहने रह कर भी
असभ्य हैं
क्या दर्पण उनको दिखाना
और उनको ये अहसास कराना की
उनकी असभ्यता से
नगनता बढ़ रही हैं
गलत हैं
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