ये ब्लोग कोलाज है शब्दो का क्योकि मै वह नहीं देख पाती जो सब देख पाते है.मेरी कविताओं मे अगर आप अपने को पाते है तो ये महज इतिफाक है । जिन्दगी की सचाईयाँ सबके लिये एक सी होती है सिर्फ नजरिया देखने का अलग अलग होता है । इस ब्लॉग पर जो भी लिखा मेरा निजी हैं उस दृष्टि कोण से आप असहमत हो तो कविता पढ़ कर भूल जाये और आगे जा कर अपनी पसंद के विचार खोजे
Saturday, July 27, 2013
निर्मोही और निर्मम
निर्मोही मोह से उबर जाता हैं
निर्मम मोह का तर्पण कर देता हैं
निर्मोही मिल जाए तो भी निभाया जा सकता हैं
निर्मम मिल जाए तो जीवन व्यर्थ ही जाता हैं
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