अनगिनत रिश्तो में बंधे तुम
मुझ से भी एक रिश्ता बंधा
नहीं निभाया
क्युकी अनगिनत रिश्तो में
उस एक रिश्ते की अहमियत
कुछ नहीं थी
अलग होने का दर्द
दोनों ने सहा शायद
किसी ने ज्यादा
किसी ने कम
दोनों आगे बढ़े
तुम उलझ गए
जीवन की ज़िम्मेदारियाँ
निभाने में
हँसते हुए
और
मैं इंतज़ार में
उस वापिसी की
जो कब होंगी
पता नहीं
होगी भी या ना नहीं
ये भी पता नहीं
जीवन चल रहा हैं
साँसे भी
मुझ से भी एक रिश्ता बंधा
नहीं निभाया
क्युकी अनगिनत रिश्तो में
उस एक रिश्ते की अहमियत
कुछ नहीं थी
अलग होने का दर्द
दोनों ने सहा शायद
किसी ने ज्यादा
किसी ने कम
दोनों आगे बढ़े
तुम उलझ गए
जीवन की ज़िम्मेदारियाँ
निभाने में
हँसते हुए
और
मैं इंतज़ार में
उस वापिसी की
जो कब होंगी
पता नहीं
होगी भी या ना नहीं
ये भी पता नहीं
जीवन चल रहा हैं
साँसे भी
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